Monday, May 30, 2011

कायदों का मजाक बनाती उत्तराखंड मित्र पुलिस

वैसे तो यह हर जगह होता होगा लेकिन देहरादून में यह आम बात है। यहाँ यातायात को सुचारू करने कि जिम्मेदारी उठाने वाले ही उसकी धज्जिया उढ़ा रहे है । शहर में चले वाले विक्रमो में आगे एक ही सवारी बैठने का नियम है। एसा ना करने पर पुलिस वाले चालान करते है जो १०० से २५०० तक कितना भी हो सकता है। लेकिन एक बिडम्बना यह भी है कि जब पुलिस वालो को कही जाना होता है तब वे आगे बैठी सवारी को धक्का देकर उसमे ही दो बैठ जाते है। यहाँ कोई कायदा नहीं उल्टा पुलिस वाले किराया भी नहीं देते ...कोई हिम्मत करके मांगे तो नो नोट आगे चालन...यहाँ है पुलिस....उत्तराखंड मित्र पुलिस

विक्रम वालो से हारी उत्तराखंड सरकार

JNnurm जवाहर लाल नेहरु रास्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन को केंद्र सरकार की महत्वाकांसी योजना बताया जाता है। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा देश के लगभग सभी शहरो में चलायी जा रही है। उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल शहरो को इस योजना के तहत चुना गया था। योजना का उध्येस्य इन शहरो में बुनियादी सुविधाहो के विस्तार के साथ ही परिवहन कि सुविधा भी ठीक करना था। इसीलिए देहरादून शहर के लिए योजना के तहत २०० लो फ़लूर बस केंद्र सरकार ने राज्य हो भेजी। कायदे से इन बसों को देहरादून शहर के अन्दर ही चलना था जिस्स्से कि लोगो को जाम से तो निजात मिलती ही उन्हें समय पर वहां भी उपलब्ध हो जाते लेकिन यहाँ देहरादून में चल रहे विक्रमवालो की लौबी इतनी मज़बूत है कि सरकार उनके आगे झुटने टेकते हुए यह बसे हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश चला रही है। जहा पहले से ही दर्ज़नो बसे लगी है। हालाँकि हाल फिलहाल ये बसे घाटे में नहीं चल रही है लेकिन इससे देहरादून शहर कि जानता को जो फायदा मिलना था वह तो नहीं मिल पा रहा है ... इतना ही नहीं शहर कि जनता विक्रम वालो कि जो मनमानी झेल रही है उसका हिसाब कैसे लगेगा..

कुम्भ के दौरान हुई गड़बड़िया बनी निशंक सरकार की फांस

कुम्भ के दौरान हुई गड़बड़िया उत्तराखंड कि निशंक सरकार के गले की फांस बन गयी है। कुम्भ ख़तम होते समय तो निशंक इसकी सफलता के लिए नोबेल पुरूस्कार मांग रहे थे, लेकिन जब से सीएजी ने इस मामले में संगीन सवाल उठाये हैतबसे अब निशंक साहब की बोलती बंद हैकुम्भ के समय तो उन्हें और उनकी गेंग को लग रहा था कि खेल ख़तम पैसा हज़म, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो पाया और पूरे कुम्भ के दौरान सीएजी हरिद्वार सहित पुरे मेला छेत्र में नज़र गढ़ाए रही और कुम्भ ख़त्म होते ही उसने सरकार की पल खोल दी। पिछले दिनों विधान सभा के पटल पर राखी गयी इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश में सियासत का रंग लाल हो गया है। चुनावी साल से ठीक पहले इस तरह के खुलासे ने भाजपा को परेशानी में दाल दिया है। भले ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी निशंक पर ही भरोसा जता रहा हो लेकिन एक के बाद एक हो रहे घोटालो के खुलासो ने पार्टी को भी सोचने पर विवश कर दिया है। एक तो विकल्प हीनता और दूसरा पहले ही पार्टी एक बार नेतृत्व परिवर्तन कर चुकी है इसे में यह तो तय है अगले चुनाव (जनवरी या फ़रवरी २०१२) तक निशंक ही सीएम होंगे लेकिन पार्टी ने अब सामूहिक नेतृत्व की बाद कह दी है। इसे निशंक के पर कतरना न भी समझा जाए तो इतना तो कहा ही जा सकता है कि निशंक जी अब वो बात नहीं हो..कुम्भ में हुई गड़बड़ियो को इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है कि यहाँ सरकार ने केवल १००० करोड़ खर्च किये और उस पर २०० करोड़ यहाँ वहा करने के आरोप है..यानिकी २० प्रतिशत पैसा जेब में चला गया॥ सरकार पर आरोप है की कई सारे काम बिना अनुमति के बाते गए और कई पुरे ही नहीं हुए। इस मुद्दे को लेकर चुनाव से ठीक पहले जहा कांग्रेस सरकार को घेर रही है वही पीAसी ने भी मामले कि जांच शुरू कर दी है...