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Monday, May 30, 2011
कुम्भ के दौरान हुई गड़बड़िया बनी निशंक सरकार की फांस
कुम्भ के दौरान हुई गड़बड़िया उत्तराखंड कि निशंक सरकार के गले की फांस बन गयी है। कुम्भ ख़तम होते समय तो निशंक इसकी सफलता के लिए नोबेल पुरूस्कार मांग रहे थे, लेकिन जब से सीएजी ने इस मामले में संगीन सवाल उठाये है। तबसे अब निशंक साहब की बोलती बंद है। कुम्भ के समय तो उन्हें और उनकी गेंग को लग रहा था कि खेल ख़तम पैसा हज़म, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो पाया और पूरे कुम्भ के दौरान सीएजी हरिद्वार सहित पुरे मेला छेत्र में नज़र गढ़ाए रही और कुम्भ ख़त्म होते ही उसने सरकार की पल खोल दी। पिछले दिनों विधान सभा के पटल पर राखी गयी इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश में सियासत का रंग लाल हो गया है। चुनावी साल से ठीक पहले इस तरह के खुलासे ने भाजपा को परेशानी में दाल दिया है। भले ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी निशंक पर ही भरोसा जता रहा हो लेकिन एक के बाद एक हो रहे घोटालो के खुलासो ने पार्टी को भी सोचने पर विवश कर दिया है। एक तो विकल्प हीनता और दूसरा पहले ही पार्टी एक बार नेतृत्व परिवर्तन कर चुकी है इसे में यह तो तय है अगले चुनाव (जनवरी या फ़रवरी २०१२) तक निशंक ही सीएम होंगे लेकिन पार्टी ने अब सामूहिक नेतृत्व की बाद कह दी है। इसे निशंक के पर कतरना न भी समझा जाए तो इतना तो कहा ही जा सकता है कि निशंक जी अब वो बात नहीं हो..कुम्भ में हुई गड़बड़ियो को इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है कि यहाँ सरकार ने केवल १००० करोड़ खर्च किये और उस पर २०० करोड़ यहाँ वहा करने के आरोप है..यानिकी २० प्रतिशत पैसा जेब में चला गया॥ सरकार पर आरोप है की कई सारे काम बिना अनुमति के बाते गए और कई पुरे ही नहीं हुए। इस मुद्दे को लेकर चुनाव से ठीक पहले जहा कांग्रेस सरकार को घेर रही है वही पीAसी ने भी मामले कि जांच शुरू कर दी है...
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